न्यूमेरोलॉजी                                                                                Numerology– the magic of numbers

 

अंकविज्ञान या अंक विद्धया जो किसी भी व्यक्ति के बारे में सटीक भविष्यवाणी कर सकती है। साथ ही इसमें संयोजन व तुलना करके ऐसी संख्याओं को व्यक्ति तक पंहुचाया  जा सकता है कि वह संख्याओं के साथ मेल खाकर अपने आप को अपने जीवन के उच्च शिखर तक पहुंचा सकता है।

यह विज्ञान भारत के सबसे प्राचीन वेदों में पाया जाता है। जहाँ पर  संख्याओं का जैसे तीन देवता, 33 कोटि देवता, 14भुवन, नवगृह आदि मेंसंखाओं का होना | साथ ही मंत्रों के बोलने की संख्या तक का निर्धारण बताता है की अंकों की कितनी क्षमता है| सम्पूर्ण जगत की बात करें तो जब से समय व जीव की उत्पत्ति के बाद जिव ने समय के बारे में जानकारी रखना प्रारंभ किया। तब से इसका प्रादुर्भाव मानना चाहिए| पूरे संसार में अंक विज्ञान। सभी प्राचीन सभ्यताओं में माना और उसके द्वारा अपने जीवन को विकसित किया | इस अंक विज्ञान की क्षमताओं को पूरे विश्व की सभी प्राचीन सभ्यताओं ने समझ कर अपने आप को विकसित कर लिया | आज हम बात करें चाहे अंतरिक्षयान, हवाई जहाज या ऐसी कोईभी  क्रिया हो बिना समय के निर्धारण वह सुनिश्चित  किए गए स्थान पर या तय समय तक नहीं पहुँच सकती। इसे हम कहीं ना कहीं अंकों का संयोजन भी कह सकते हैं।

सिर्फ भारतीय या  वैदिक विज्ञान नहीं , बल्कि यह सभी धर्मों का मूल है। प्रत्येक धर्म में कुछ अच्छी संख्याएँ हैं और कुछ नकारात्मक संख्या है। प्रत्येक धर्म कहीं न कहीं संख्याओं से पूरी तरह से जुड़ा हुआ है। यह अंक  प्रणाली बहुत ही प्राचीन है जिसके द्वारा गणनाओं से गणितज्ञों ने व्यक्तियों, देश व संपूर्ण संसार की भविष्यवाणियां की हैं।  अंक विज्ञान की अनेक प्राचीन पद्धतिया है | जहाँ तक अंक ज्योतिष के इतिहास की बात है तो आपको बता दें कि इसका प्रयोग मिस्र में आज से तक़रीबन 10000 वर्ष पूर्व से किया जाता आ रहा है। मिस्र के मशहूर गणितज्ञ पाइथागोरस ने सबसे पहले अंको के महत्व के बारे में दुनिया को बताया था। उन्होनें कहा था कि “अंक ही ब्रह्मांड पर राज करते हैं।” अर्थात अंकों का ही महत्व संसार में सबसे ज्यादा है। प्राचीन काल में अंक शास्त्र की जानकारी खासतौर से भारतीय, ग्रीक, मिस्र, हिब्रु और चीनियों को थी। भारत में प्रचीन ग्रंथ “स्वरोदम शास्त्र” के ज़रिये अंक शास्त्र के विशेष उपयोग के बारे में बताया गया है। प्राचीन क़ालीन साक्ष्यों और अंक शास्त्र के विद्वानों की माने तो, इस विशिष्ट शास्त्र का प्रारंभ हिब्रु मूलाक्षरों से हुआ था। उस वक़्त अंक ज्योतिष विशेष रूप से हिब्रु भाषी लोगों का ही विषय हुआ करता था। साक्ष्यों की माने तो दुनियाभर में अंक शास्त्र को विकसित करने में मिस्र की जिप्सी जनजाति का सबसे अहम योगदान रहा है। आधुनिक समय में मोक्या रूपा से पाइथागोरस, तमिल अंक ज्योतिष, चाल्डियन अंक ज्योतिष, कबला अंक ज्योतिष आदि मुख्य है |

Read more

Pannkaj kumar

Numerologist – 8755511173