
दूसरे दिन जब वे इस अरुचिकर कार्य को करने लगे तो उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि ‘कृष्ण-बलराम’ कुटी का कमरा प्रतिष्ठित व्यक्तियों से भरा था। उपस्थित लोगों में थे श्री कमलापति त्रिपाठी, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश, श्री वाइ. वी. चह्वाण, गृहमंत्री, केन्द्र सरकार, श्री श्यामा चरण शुक्ला, मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश और अनेक राजनैतिक दल के नेतागण। इन सबके आगे वह बुढ़िया भी बैठी थी जिसका वर्णन बाबा कर चुके थे। प्रवचन के समाप्त होने पर वह बुढ़िया सबसे पहले कमरे से बाहर चली गयी और ऐसी गायब हुई कि फिर नहीं दिखाई दी। यह सब खेल बाबा की प्रेरणा शक्ति का था। कथा सुनने का निमंत्रण किसी को दिया नहीं गया था और न इसके लिए इश्तहार ही बाँटे गये थे।