कैसे पहुचे हनुमान जी अमेरिका में

taos Ashram Hanuman ji

त्रेता में हनुमान जी समुद्र लांघ कर लंका गए थे, पर बीसवीं सताब्दी के अंतिम चरण में उनका विग्रह छलांग मारती मुद्रा में अनेक सागरों को पार करता हुआ सेनफ्रांसिस्को पहुंचा तो वहां महाराजजी क भक्तों द्वारा भव्य स्वागत हुआ | हनुमान के विग्रह को अमेरिका ले जाने कि प्रेरणा श्री राम दास (डॉ० रिचार्ड एल्पर्ट ) को हुई | आप ने जयपुर में 1500 पोंड कि यह मूर्ती बनबाई जो विमान द्वारा 1979 में अमरीका पहुंचाई गई |  उस समय सेनफ्रांसिस्को में उपस्थित भक्त जन इस विग्रह के लिए अमरीका में उपयुक्त स्थान के लिए विचार करने लगे | कोई न्यू-इंग्लैण्ड तो कोई कनाडा चाहता था तो कोई चहल पहल कि जगह न्यूयार्क चाहता था | इस कारण कोई भी निर्णय नहीं हो पाया | इस वाद विवाद के दौरान हनुमान जी ने अपना स्थान स्वयं निश्चित कर लिया | महाराजजी के एक अमरीकी भक्त, जिनको बाबा ने भारतीय नाम विष्णु दिया था मूर्तियों में रूचि न रखते हुए भी, किसी अज्ञात प्रेरणा से इस विग्रह को ताओस न्यू-मैक्सिको में स्थित अपने घर में रखने को तैयार हो गये |  इस सुझाव पर उपस्थित सभी लोगो ने यह निर्णय किया कि जब तक हनुमान जी के लिए स्थाई रूप से कोई स्थान विशेष का चुनाव नहीं हो जाता तब तक उन्हें ताओस में रहने दिया जाये | यह मूर्ती वहां विष्णु के मकान में पीछे के कमरे में रखदी गई | इसके एक वर्ष बाड़ जब विष्णु अपने परिवार के साथ सात एकड़ के फार्महाउस में रहने के लिए चला गया , तब इस मूर्ती को वहां गोदाम के कमरे में स्थान दिया गया जहाँ ठंडक अत्यधिक थी |

न्यू-मैक्सिको में ताओस एक ठंडा और रमणीक स्थान है | यह चारों और हिमाच्छादित पर्वतमालाओं से घिरा है | यहाँ रहते हनुमान जी और विष्णु में बहुत प्रीत हो गई | विष्णु के स्वभाव में मौलिक परिवर्तन आगये | व हनुमान जी के कक्ष को सदा सुन्दर और स्वच्छ रखता और हीटर से गर्म रखता सदा फल फूल और मिष्ठानों से हनुमान जी कि सेवा करता | अब वह मालिक नहीं हनुमान जी का सेवक है| स्थिति ऐसी होगी है कि अब उसे हनुमान जी का विच्छोह सहन नहीं है , और वह उनकी सेवा को अपना सौभाग्य मानने लगा है| सन 1984  में उसने महाराजजी के अमरीकी भक्तों कि संस्था “हनुमान फाउन्डेशन” को इस सम्बन्ध में अपने बड़े मकान का कुछ भाग और भूमि सस्ते दामों में देने का वचन दिया और अपना शारीरिक सहयोग भी देने का वादा किया | यहाँ नित्य स्थानीय लोगो द्वारा हनुमान चालीसा का पाठ , राम नाम कीर्तन और भक्ल्तों का सत्संग होता है ,और बाबा के महानिर्वाण दिवस पर भंडारा होता है  | बाबा जी सभी अमरीकी भक्तो कि पूजा अर्चना से संतुष्ट हैं| यहाँ शिव मंदिर भी बनगया है जिसमें नित्य पूजा होती है और बाबा का तखत भी लागगया है |  बाबा जी के सभी मंदिरों आश्रमों में पूजा पाठ यज्ञ सत्संग नियमित हुआ करते है बाबा जी कहा करते थे “ कि लोग धर्म और कर्म के प्रति उदासीन होते जा रहे हैं और आगे बहुत बुरा समय आएगा तब ये मंदिर ही मनुष्य को भ्यागावान कि याद कराये गे|”

इनको उपयोगी और बहुजन हिताय बनाने के लिए इन मंदिरों को सड़क के पास और बड़े बड़े नगरों मरण ही बनाया | कूर्मांचल प्रदेश में जहां आदि काल से शिव और शक्ति कि ही उपासना प्रचलित रही, आप ने स्थान स्थान पर हनुमान जी के मंदिरों कि स्थापना  कर घर-घर  हनुमान चालिषा और रामायण का प्रचार करादिया | इस प्रकार वैष्णव धर्म भी पूर्ण रूप से प्रतिष्ठित हो गया | बाबा स्वयं लोगों को लौकिक आवश्यकताओं की पूर्ती कर उनका ह्रदय परिवर्तित करते रहे | आपने इन मंदिरों में स्थापित विग्रहों को भी अपनी अलौकिक शक्ति से चिन्मय है और ये भी आप की ही भांति लोगो कि कामनाओं को पूर्ण करते रहते हैं| यही कारण है कि इन मंदिरों कि मान्यता दिन प्रतिदिन बढती जा रही है|