श्री कन्हैयालाल इलाहाबाद मे अपने घर एक बार लेटे हूये छिलके वाला सेब खा रहे थे । एक सेब का टुकड़ा श्वास की नवी में फँस गया , इस कारण उन्हें साँस लेने में कष्ट होने लगा । जितना वे उसे बाहर निकालने का प्रयत्न करते उतना वे फँसता चला गया । आपका कष्ट बड़ता जा रहा था । तुरन्त अस्पताल ले जाना पड़ा । डाक्टरों ने दुसरे दिन आपरेशन तरने को कहा । उन दिनों बाबा चर्चलेन में आये हूये थे । घर के लोग भाग भाग कर उनके पास आते और रोते । सभी उनकी जान बचाने के लिये बाबा से प्रार्थना करने लगे । बाबा सहज भाव से कहते ,”
” बूढ़ा अभी नहीं मरेगा । ” इन लोगों को बाबा पर विश्वास नहीं हो रहा था । क्योंकि वे श्वास की नली के आपरेशन से भयभीत थे । जब ये लोग बाबा से बात कर रहेँ थे , उधर बाबा की कृपा से कन्हैया लाल जी को ज़ोर से खाँसी का दौरा आया और वे सेब का टुकड़ा बाहर आकर गिरा । आप के लोग जब घर आये तो आप बाबा की लीला से बिना आपरेशन के स्वस्थ मिले । वाह मेरे बाबा तेरी लीला कब और कैसे हो जाये , कुछ नहीं पता ।
जय गुरूदेव
आलौकिक यथार्थ