संत सेवा संत दर्शन और सत्संग एक मार्गदर्शक की भूमिका में जीवन की हर मुश्किल को आसान बना देते हैं, ऐसे ही है हमारे बाबा संत सेवा संत दर्शन और सत्संग के साक्षात् संगम बजरंगवली के अवतार बाबा श्री नीबकरोरी जी महाराज (Shri Baba Neemkaraoli ji Maharaj) का जीवन दर्शन |
नाथों का नाथ तू, अखंड ज्योति स्वरुप तू, तू सर्वोपरि है, तू दुःखभंजन है, तू मेरा मीत है,तू मेरी प्रीत है, तू तो मेरा ईष्ट है,
दीनानाथ प्रभु श्री राम जी के अनन्य भक्त साक्षात् बजरंगवली के अवतार बाबा श्री नीबकरोरी जी महाराज को कोटि कोटि वंदन| आप की महिमा अनंत है आप की महिमा अपरम्पार है|
वैसे तो बाबा जी का परिचय साधारण मनुष्य के बस की बात नहीं और लौकिक या भौतिक परिचय भी देना अति कठिन है परजैसा की कई भक्तों ने अनुमान लगाया है उस आधार पर बाबा जी का संछिप्त लौकिक परिचय देने की कोशिश करता हूँ|
बाबा नीमकरोरी महाराज जी का जन्म उत्तरप्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गाँव में सन 1903 के आसपास शुक्लपक्ष अष्टमी को मार्गशीर्ष के महीने में हुआ था | इनके पिता जी का नाम श्री दुर्गा प्रसाद शर्मा जो एक जमीदार थे | पिता ने आप का नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा रखा | बाबा जी का वचपन से ही संत स्वभाव देखकर पिता जी ने पुत्र का विवाह नौ वर्ष की कम उम्र में श्रीमती रामबेटी नाम की एक धनाड्य ब्राह्मण संस्कारी कन्या के साथ कर दिया| विवाह जैसा अटूट वन्धन भी बाबा जी को रोक न सका और ग्यारह वर्ष की आयु में आप ने घर त्याग दिया|
और आप गुजरात के बबनिया नामक स्थान पर पहुचे वहाँ आप ने अपना संत जीवन प्रारम्भ किया | आप को संत रूप में सब तलैयाबाबा के नाम से जाने आप ने अपना भौतिक परिवार व नाम किसी को नहीं बताया, सात वर्ष वहाँ रहने के बाद आश्रम की जिम्मेदारी श्री रमाबाई को सौप आप भारत भ्रमण पर निकले| इसी बीच आप ने दक्षिण भारत का भ्रमण किया जहाँ आप का नाम डंडी बाबा पड़ा| आप की लीलाओं का हम सभी सिर्फ अंदाजा लगासकते है आप का विस्तार या निश्चित कोई नहीं कह सकता | दक्षिण भारत यात्रा के बाद आप वृन्दावन की तरफ से गंगा स्नान करने फर्रुखाबाद जा रहे थे की नीबकरोरी नामक गाँव के पास ट्रेन में आप के साथ एक घटना घट गई आप के पास टिकिट नहीं था और आप प्रथम श्रेणी के डिब्बे में बैठे थे| जांच में आप के टिकिट न दिखाए जाने पर अंग्रेज गार्ड ने आप को गाडी से उतार दिया और गाड़ी को चलाने को कहा पर ये क्या गाड़ी टस से मस न हुई| सारे प्रयास किये गए इंजिन चेक हुआ पर कोई फायदा नहीं फिर किसी समझदार व्यक्ति ने उस गार्ड से कहा की बाबा जी से कहो वो चला देंगे | गार्ड ने आप से गाड़ी चलाने की प्रार्थना की तो आप ने कहा हमें उतार कर गाड़ी से चलने को कहलबाता है| गार्ड ने आप को भी चलने को कहा तब आप ने उसे प्रथम श्रेणी के ही कई सही टिकिट अपने पास दिखाए | इसी बिच नीबकरोरी गाँव के लोगो ने आप को वापसी में नीबकरोरी रूकजाने की प्रार्थना की और आप ने स्वीकार कर ली और फिर आप यही आगये | इसी बीच आप के पिता जी को किसी ने आप के यहाँ होने की सूचना दी तो वो आप से मिलाने आये और आप को घर में आप के परिवार की जिम्मेदारी निभाने की आज्ञा दी | आप ने सहर्ष स्वीकार की और घर चले गए अब आप ने एक ही समय में दो जिम्मेदारी निभाई एक गृहस्थ और दूसरी सिद्ध तपस्वी की जिसके लिए सम्पूर्ण संसार ही उसका घर है| आप के दो पुत्र और एक पुत्री हुई जिनका नाम क्रमशः श्री अनेकचंद शर्मा, श्री धर्मनारायण शर्मा और श्रीमती गिरिजा जी है| आज बाबा जी की सात पोतिया और एक पोते श्री धनञ्जय शर्मा जी है|
अपनी सबसे छोटी संतान जिरिजा जी की ग्यारह वर्ष की आयु होने के बाद आप ने अपने घर को पुनः त्याग दिया| और नीबकरोरी ग्राम में आगये आप के चमत्कार और मनमोहक मुस्कान तेजोमय चहरे से सभी आप के भक्त बनते गए और आप की क्याती अब सम्पूर्ण भारत में फ़ैलाने लगी | नीबकरोरी में आपने स्वयं हनुमान जी के विग्रह का निर्माण किया जो मिटटी और गोबर की है इस विग्रह की स्थापना दिवस पर आप एक महीने तक का भंडार कराते थे जब आप ने 1935 में भंडार कराया तो आप ने अपनी जताए भी हटा दी और आप ने अपने भक्तो को एक नया रूप दिया प्रेम करने को| कहा जाता है आप कई दिनों तक समाधी में यहाँ बनी गुफा में रहते थे किसी को अंदर जाने की आज्ञा नहीं थी एक दिन आप सम्माधि से निकले आप को बहुत भूख लगी थी आप ने यहाँ हनुमान विग्रह के पास जाकर हनुमान जी पर डंडे से प्रहार किया और मार मार कर चिल्लाते रहे क्या मुझे भूखा ही मार डालेगा क्या यह पहली घटना ही सिद्ध कराती है की आप अपने को ही प्रताड़ित कर रहे थे वरना भला कोई भक्त अपने प्रभु को ऐसे कैसे कह सकता है| कुछ समय बाद कई अनजान लोग फल और पकवानों से सजे थाल आप के लिए लाये और भेंट किये| एक बार एक भक्त से किसी के द्वारा अनुचित कहे जाने पर आप ने दिव्यद्रष्टि से देखलिया और आप ने नीबकरोरी ग्राम को छोड़ दिया आप फतेहगढ़ सरसैयाघात रहने लगे वहाँ आप ने गायें पाली और कुत्ता भी पाला| वहाँ आप के कई मिलिट्री बाले भक्त बने जिनमे एक अंग्रेस कमांडर भी था| 1940-1945 के बीच आप नैनीताल और हनुमान गढ़ी रहें जहाँ आप को सभी भक्त चमत्कारी बाबा कहकर पुकारते थे| इस सब घटना क्रम के बाद भी आप ने अपना देश भ्रमण हमेशा सुचारुरूप से चलने दिया आप इलाहबाद आदि व अन्य हनुमान मंदिरों पर जाते रहे| 1960 के बाद आप के विदेशी भक्त आप की ओर खिचने लगे जैसे उन्हें किसी ने पुकारो हो और बिना पते के ही वो आप से सीधे संपर्क में आगये | आप ने बिना धर्म देखे जाति देश या पद देखे सभी को अपनी कृपा द्रष्टि दी |आप से जो भी मिलता सपरिवार आप का होजाता उस परिवार के वुजुर्ग कम बच्चे आप के ज्यादा प्यारे हो जाते |आप ने जाने कितने मृत शरीरों और चेतनाओं को जीवनदान दिया| आप ने अनेक माँओं को लाल दिए नौकरियां दी और आज भी आप की कृपा कम नहीं है| आप की कृपा पाने बाले तो अनंत है पर कुछ के नाम हमें मालूम है जिनकी आप ने बिगड़ी बनाई- माइकल रिग्गस (भगवानदास), रिचर्ड अल्पर्ट(राम दास-हार्वड यूनीवर्सिटी में मनोवैज्ञानिक प्रोफ़ेसर), जेफ्फ्री कगेल (कृष्णदास- एक रांक स्टार जो अब विश्वप्रसिद्ध भजनगायक है), डगलस उत्तल (जय उत्तल – एक मशहूर भजन गायक), डॉ० लैर्री ब्रिलियंतट, साधू माँ, माँ जया, जेफ्र्री मिल्लर (लामा सूर्य दास ), य्वेत्ति रोस्सर (राम रानी मशहूर अमेरिकन लेखक), पूर्व राष्ट्रपति डा० शंकरदयाल शर्मा, राष्ट्रपति वि.वि. गिरी, उपराष्ट्रपति गोपालस्वरूप पाठक, राज्यपाल कनैयालाल माणिकलाल मुंसी, उपराज्यपाल भगवान सहाय, राजा भद्री, न्यायमूर्ति वासुदेव मुखर्जी, जुगलकिशोर बिडला, सुमित्रानंदन पन्त, अंग्रेज जनरल मकन्ना आदि अनेक नेता और कर्मचारी बाबा जी के सेवक और भक्त थे |
जब बाबा जी के अनेको प्रिय भक्तो ने उनके नाम स्मरण हेतु एक नाम पूछा तब बाबा जी ने अपना नाम नीबकरोरी बताकर नीबकरोरी ग्राम के साथ अपने प्रेम को दर्शा दिया और इस छोटे से गाँव को अमर कर दिया| बाबा जी कहते थे तू मुझे छोड़ सकता है पर हमने पकड़ लिया तो नहीं छोडू गा| नीबकरोरी गाँव का नाम खुद को देकर बाबा ने ये बात आजीवन सिद्ध होने का उदाहरण प्रस्तुत किया|
बाबा जी ने अद्वैतवाद को आगे बढ़ाया और ईश्वर प्रेम योग का एक सामान्य रास्ता अपनी सामान्य व साधारण व्यक्तित्व से देदिया| बाबा जी संतों के संत है गुरुओं के गुरु है| बाबा जी को आठो भौतिक सिद्धियाँ मिली और भगवत प्रेम के लिए अन्य सिद्धियाँ भी मिली हुईं थी |
बाबा जी की शिक्षाए बहुत ही सामान्य है- उन्होंने कहा काम में राम को देखो, कर्म से ही राम प्रसन्न होंगे| बेकार विचारों को मन में न लाओ जब मन में बेकार के बिचार लाओ गे तो राम को कैसे पाओगे|
बाबा का परिवार सम्पूर्ण विश्व है उहोने सभी को अपना बेटा बहन माँ भाई माना सभी को सेवा का सन्देश दिया वो कहते थे “सभी से प्रेम करो, तुम जितना प्रेम बंतो गे उससे कई गुना पाओ गे, किसी को भूखा न रहने दो यही भगवान को पाने की कुंजी है” हर पल राम का नाम रटो एक न एक दिन ये नाम स्वयं निकालने लगे गा, यदि एक बार ये नाम मन में बस गया तो मुक्ति स्वयं मिल जाये गी|
राम को मन में ऐसे बसालो जैसे बैंक में पैसा रखते हो| राम नाम ही काम ए गा अंत में ये पैसा गाडियां कुछ भी तुम्हारा नहीं|
बाबा जी ने अपने अंत समय तक अनेक हनुमान मंदिर बनवाये जहाँ गरिवो को आसरा मिला और भंडारा व ईश्वर भजन नियमित कर दिए | बाबा जी ने अपने शिष्यों से और स्वयं गरीबों की मदद के लिए अनेक कार्य किये स्कूल खुलाबाये अस्पताल बनबाए और अनेक भक्तों का मार्ग दर्शन कर उन्हें सही रास्ता दिखाया| बाबा जी का साधारण जीवन ही लाखोलोगो के लिए प्रेरणा बन गया और गरीबों के लिए वो मशीहा हो गए सभी भक्तो के लिए बाबा जी न गुरु है और न ही भगवान है व तो उअनके परिवार के सभी कुछ है |
जय बाबा नीबकरोरी महाराज की
#राम राम#